This article was written by Dr Rukmini Banerji
The original article was published in Dainik Bhaskar
किताब और कहानियों पर जितनी गहराई से बातचीत होती है, उतनी ही समझ बनती है और अपने आसपास की जिंदगी से जोड़ सकते हैं। जब बच्चे पढ़ने लगते हैं, तो अपनी उम्र या कक्षा को पीछे छोड़ देते हैं। उसी तरह जब बच्चे पढ़ नहीं पाते, तब कक्षा व उम्र उन्हें पीछे छोड़ देती हैं।
इस विषय में और जानने के लिए पढ़ें डॉ. रुक्मिणी बनर्जी का कॉलम: बच्चे बातचीत कर, चर्चा कर किताब पढ़ते-समझते हैं तो उम्र या कक्षा को पीछे छोड़ देते हैं, बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ बातचीत और गपशप भी जरूरी|