What's New

‘विद्यालयों और गांवों के अनोखे प्रयास; हमारे स्कूलों के लिए सपना जो बन सकता है हकीकत’

'विद्यालयों और गांवों के अनोखे प्रयास; हमारे स्कूलों के लिए सपना जो बन सकता है हकीकत'

This article was written by Dr Rukmini Banerji
The original article was published in Dainik Bhaskar

(https://dainik-b.in/DsWKGuQzWkb)

गांव के बीचों-बीच विद्यालय बना हुआ था। हम फाटक खोलकर अंदर पहुंचे। विद्यालय की इमारत वैसी ही थी, जैसी अक्सर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की होती है, दो-तीन कमरे और एक बरामदा लेकिन पाठशाला परिसर में तीन बड़े और पुराने पेड़ ऐसे लगे थे कि पूरे प्रांगण को हल्की छांव मिल रही थी। बरामदे के सामने क्यारी में छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे फूल दिख रहे थे। कक्षा के बाहर पंक्ति में काले-काले जूते और उनमें रखे लाल मोज़े दिख रहे थे।

पढ़ें डॉ रुक्मिणी बनर्जी पूरा लेख: विद्यालयों और गांवों के अनोखे प्रयास; हमारे स्कूलों के लिए सपना जो बन सकता है हकीकत