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परीक्षा किताबों तक ही सीमित न रहे, इसे भविष्य में काम आने वाले हुनर से भी जोड़ना चाहिए: रुक्मिणी बनर्जी

 

10 साल स्कूल में बिताकर हमारे बच्चे क्या सीखते हैं? आने वाले जीवन और आजीविका के लिए स्कूली शिक्षा उन्हें किस हद तक तैयार कर पा रही है? क्या परीक्षा परिणाम महज एक टिकट या प्रवेश पत्र है, जो अगले दरवाजे में प्रवेश पाने में मदद करेगा या यह भविष्य के जीवन के लिए उनकी तैयारी का भरोसेमंद संकेत है?” इन सवालों को मद्देनज़र रखते हुए, पढ़ें डॉ रुक्मिणी बनर्जी के विचार, इस लेख में